लक्ष्य को देखो समय को नहीं। हमारा जीवन लक्ष्य को निर्धारित करने पर पवित्र बन सकता है समय को नहीं। हम समय की ओर देखते हैं लेकिन अपने लक्ष्य को भूल जाते हैं। यदि हम अपने लक्ष्य को याद रखें तो हमको समय की ओर देखने की आवश्यकता नहीं पड़ सकती, क्योंकि लक्ष्य स्वयं एक समय है। समय को देख-देखकर चलने में हमको समय की पहचान ही नहीं होती, लेकिन जब हम अपने शास्त्रों को देखकर चलते हैं तो समय की वास्तविकता हमारे सामने झलकने लगती है। अत: हमको घड़ी देखकर नहीं अपितु शास्त्रों को देखकर यानि शास्त्रों में बतलाए मार्गदर्शन के अनुसार चलना चाहिए।
दिन रात को देखते रहोगे
कुछ न कर पाओगे।
दिन रात को भूल जाओगे
सब कुछ पा जाओगे।
आज हम घड़ी ही देखते रहते हैं महीने, वर्ष, पक्ष, दिन, रात में ही अपने को गिनते रहते हैं। समय देखने में ही हमारा समय चला जाता है और हम समय का इंतजार करते रहते हैं। इसलिए हम अपनी जिन्दगी में कुछ नहीं कर पाते। यदि हम इन सारे समयों को भूल जायें तो हम बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। हमको अपनी आत्मा को पाना है इसके लिए समय को भूल जाना है। आत्मा याद हो जायेगी। वस्तुत: आत्मा को याद कर लेना ही सही समय का सदुपयोग है।
जब हमको अपनी आत्मा का परिचय मिल जाता है तब हमारे लिए काँटे नहीं फूल ही बाधक बनते हैं। काँटे तो हमको जागृत, करते हैं। फूल हमको बहका सकते हैं लेकिन काँटे नहीं, क्योंकि काँटे विरागता के प्रतीक हैं जबकि फूल राग का। हम काँटों पर चलना सीखें यानि कठिनाइयों से गुजरना सीखें। उनसे घबराए नहीं और फूलों से बचें, यानि भोग विलासिता से अपने को दूर रखें, जीवन हमारा महक जायेगा हम धन्य हो जायेंगे।
मोक्ष मोह के अभाव का नाम है मोह को छोड़े बिना हम मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते। मोक्षमार्ग में वही व्यक्ति चल चल सकता है जो मोह से प्रभावित नहीं होता। जो मोही होता है, वह योगी नहीं बन सकता। हमको मोक्ष को प्राप्त करना है तो मोह का त्याग करना होगा और अपनी आत्मा को समझना होगा। आत्मा को समझे बिना न आत्म शांति है न आत्म कल्याण और न निर्वाण।
Edited by संयम स्वर्ण महोत्सव
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