अब भगवान की आराधना के लिए युवाओं में जागृति लाने का कार्य कीजिये और जो दूर-दराज के विद्यार्थी राजधानी में अध्ययनरत हैं उन्हें प्रेरित कीजिये। ऐसी व्यवस्था बनाइए कि वे धर्मायतनों के आस-पास ही रहकर अध्ययन कर सकें और इसके लिए व्यवस्थित छात्रावास होना चाहिए। संस्कारों को यदि प्रतिष्ठापित करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये काम प्रारम्भ कीजिये।
कोई भी काम करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है जैसे मुम्बई में टिफिन का कार्य शाकाहारी कुछ लोगों द्वारा प्रारम्भ किया गया था; जो आज सफलता पूर्वक चल रहा है, आपके यहाँ भी आप ऐसे रचनात्मक कार्य कर सकते हैं जिनसे विद्यार्थियों को शुद्ध आहार मिल सके क्योंकि शुद्ध आहार से ही बुद्धि का विकास होता है।
-८ नवम्बर २०१६, भोपाल