किसी भी मार्ग में बढ़ने के पूर्व उस मार्ग की व्यवस्था को पहले समझना जरूरी होता है। अभिभावकों को ये समझना जरूरी है कि उनके बच्चे शिक्षा में किस मार्ग का अनुशरण कर रहे हैं, फिर उस मार्ग के बारे में जानकर बच्चों को सही दिशा प्रदान करें। शारीरिक और मानसिक चिकित्सा बच्चों की तभी होगी जब अभिभावक स्वस्थ मानसिकता से सही मार्ग का अनुशरण उन्हें करवाएँगे। आप के मन में श्रम करने के भाव जागृत होंगे, तभी आपके बच्चे श्रम का महत्व समझ पाएँगे। आप जैसी जीवन पद्धति बच्चों को बताएँगे वो वैसी ही जीवनचर्या अपनाते जाएँगे। जैसी नीति निर्धारण करेंगे वैसे ही परिणाम आपके विद्यार्थी, बच्चे भविष्य में आपको देंगे। तना मजबूत रहता है तो डालियाँ भी मजबूत रहती हैं और फिर अच्छे फल उसमें लगते हैं और छाया भी वे पेड़ अच्छी देते हैं।
जिन्दगी केवल काटने के लिए ही नहीं होती बल्कि जिन्दगी तो बनाने के लिए होती है क्योंकि ‘काटना' हमारी संस्कृति नहीं है बल्कि ‘बनाना' हमारी संस्कृति है।
भाषा का सही उपयोग ही आपकी और आपके परिवार की खुशहाली का कारण बनता है, इसलिए बोलते समय सावधानी अवश्य रखें। आपके परिवार का विद्याथी जब संस्कारित होकर शिक्षा ग्रहण करेगा तो वो समाज को भी और राष्ट्र को भी सही दिशा की ओर अग्रसर कर सकेगा।
-१९ सितम्बर २०१६, सोमवार, भोपाल