विनाश काले विपरीत बुद्धि' वाली कहावत चरितार्थ होने वाली है याद रखो। दूध फटने के बाद उसमें कितना भी अच्छा रसायन डाली, वह दूध पुनः सही नहीं हो सकता इसी प्रकार यदि एक बार देश की संस्कृति फट गई, विकृत हो गई तो समझ लो देश बचने वाला नहीं है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए देश की पशु सम्पदा को बचाना आवश्यक है और इसके लिए देश के कर्णधारों को जागना है। जो कर्णधार तो हैं लेकिन उनके कानों में आवाज नहीं जाती।
आप भारत के अतीत के उन पवित्र पद चिहों पर चलिए, जिससे दुनिया को सच्चाई का मार्ग मिले, सत्य का दर्शन हो और असत्य से घृणा हो। हमारा आचरण ऐसा हो कि हमारे द्वारा प्रजा का ही नहीं अपितु प्रतिपक्ष का भी संरक्षण हो। सन्तों का यह उपदेश है कि आप अपनी यात्रा रोकिए मत, अपने जीवन को उन्नति के मार्ग पर लगाइए। अशोक महान के आदशों को मत भूलिए, जिससे हमारी राष्ट्रीय मुद्रा बनी है। विदेशी मुद्रा के खातिर अपनी मुद्रा (दशा) मत बिगाड़ो। सबका संरक्षण करो, सबका भला करो, किसी का वध मत करो, किसी को मत सताओ, किसी की जान पर हमला मत करो, पशुओं की रक्षा करना ही धर्म है।
-१९९७, नेमावर