हमारी दया सक्रिय होना चाहिए, निष्क्रिय नहीं। सक्रिय दया का अर्थ आचरण में उसका पालन होता है। यदि हमारी दया सक्रिय हो जाए तो आज ही कत्लखाने बन्द हो सकते हैं। हर समाज में कितनी कितनी संस्थाएँ हैं लेकिन सक्रिय न होने के कारण हमारी जीत नहीं हो पा रही है। अगर हम सब मिलकर बीड़ा उठालें और संकल्प करलें कि हम भारत से मांस निर्यात नहीं होने देंगे तो सरकार की क्या मजाल कि वह मांस निर्यात कर सके। अपनी दया को सक्रिय करो, भावनाओं में स्फूर्ति लाओ और जुट जाओ इस जीव दया के कार्य में। एक दिन अवश्य विजय मिलेगी, अवश्य जीत होगी, बस आप लोग लगे रहो, इसकी गति को मंद मत होने दो, एक दिन ऐसा अवश्य आएगा जिस दिन मांस निर्यात बंद हो जायेगा।
-१९९७, नेमावर