यह भारत योग प्रधान है, भोग प्रधान नहीं। अब उपयोग लगाकर योग की साधना करो। यहाँ आत्मा-परमात्मा की साधना होती है और यह आत्मा सभी के पास है, पशुओं के पास भी है फिर पशुओं का कत्ल क्यों? यह पापाचार कब तक चलेगा। याद रखो! जब किसी की अति हो जाती है तो उसकी इति भी होती है। अब पाप की इति करना है, कीमत पैसों की नहीं, कीमत तो जीवन की है। किसी के जीवन को छीनने का हमको कोई अधिकार नहीं, सबको जीने का अधिकार है। अत: किसी को मत मारो, सबको जीने दो, जीवन सबको प्यारा है, चाहे वह जानवर हो या आदमी। अत: किसी भी जीव को मत मारो।
-१९९७, नेमावर