जीवन में सहमति की अपेक्षा सहयोग की महता है। सहमति तो हर व्यक्ति दे देता है लेकिन सहयोग हर कोई नहीं देता, सहयोग की आवश्यकता है। जनता यदि एक दूसरे को सहयोग देने लगे तो हम एक दूसरे के बहुत निकट आ सकते हैं। एक दूसरे का सहयोग करने से हृदय में आत्मीयता का संचार होता है, परस्पर मैत्री से स्नेह दृढ़ होता है। हम मात्र आदमी को नहीं पशुपक्षियों को भी सहयोग दें, उनके सुख दु:ख में भी अपना हाथ बटाएँ, उनको कष्ट से निकालें, उनकी परेशानी दूर करें, उनकी जिन्दगी का ख्याल रखें, कहीं वे हमारे द्वारा पीड़ित तो नहीं हैं? ऐसे करने से ही हम मानव हैं वरना पशु और मानव में अन्तर ही क्या है?
-१९९७, नेमावर