आप गाँव में रहें या शहर में अथवा कहीं भी रहें, आपको ' मांस नियति' के खिलाफ एक आन्दोलन करना है। इसके लिए आप अपने यहाँ एक 'मांस निर्यात निरोध परिषद्' का गठन करें और जनमत तैयार करें और यह मात्र जैनों का जनमत नहीं अपितु आपके गाँव-शहर में रहने वाले जितने भी समुदाय हैं उनसे मिलकर विचार विमर्श करके उन सबके साथ अपनी आवाज को बुलन्द करें। रैलियाँ निकालें, धरना दें, दैनिक पत्र, समाचारों में पशु वध से होने वाली कराएँ और इस आन्दोलन को मंद न होने दें।
-१९९७, नेमावर