पशुओं का वध बिना मौत के हो रहा है, इस पशु वध को रोकने में आपका क्या सहयोग है? क्या मात्र संकल्प पत्र में हस्ताक्षर? नहीं, नहीं। पशु वध को रोकने के लिए अब हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं, अब हस्तक्षेप होना चाहिए। हस्तक्षेप का अर्थ बाधा उत्पन्न करना और वह बाधा किसमें? हिंसा में करना है। पशु वध हिंसा है, कत्लखाने हिंसा है, मांस निर्यात हिंसा है। इस हिंसा में बाधा उत्पन्न करो। यह पशुओं की हिंसा हस्ताक्षर से रुकने वाली नहीं है इसके लिए अब हस्तक्षेप की आवश्यकता है। स्वतंत्र होने के बाद पशुओं का हमारे ऊपर डिपेन्ड होना यानि उनका संरक्षण करना चाहिए था लेकिन यह भारत इतना गरीब हो गया कि पशुओं पर डिपेन्ड हो गया यानि पशुओं को पैसा कमाना चाहता है। पशुओं का मांस बेचकर क्या भारत धनी बन जायेगा? पशुओं की हत्या करके क्या यह भारत अपने कर्ज को मिटा पायेगा? मांस बेचने से न भारत का उत्थान होगा और न उसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कत्लखाने कृषि प्रधान देश के लिए कलंक हैं।
-१९९७, नेमावर
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