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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • समालोचना हो : आलोचना नहीं

       (1 review)

    यदि आप दूसरे से सत्य बुलवाना चाहते हो तो आपको भी सत्य को अंगीकार करना होगा। वात्सल्य चाहते हो तो अपने हृदय को वात्सल्य से भरना होगा। आज समाचार पत्रों में गरम खबरों का चलन ज्यादा हो गया है सही खबरों का नितांत अभाव हो गया है, आज अपनी विचारधारा थोपने का चलन बढ़ता जा रहा है। सब अपने विचारों को थोपने में लगे हैं।

     

    लोकतंत्र में किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है किसी बात को मानने के लिए परन्तु अपनी बात पूरी निष्ठा और ईमानदारी से रखना चाहिए। सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, अपने गुणों को रखने का अधिकार है, परन्तु किसी को किसी की आलोचना का अधिकार नहीं है, समालोचना होना चाहिये। दूसरों के गुणों की जो प्रशंसा करता है समाज में उसका महत्व बढ़ जाता है। जो अपनी आलोचना करता है दुनिया कभी उसकी आलोचना नहीं करती। समालोचना से साहित्यकार को भी समाज में स्वीकार किया जाता है। समाचार पत्रों को आलोचना की खबरों से बचकर समाज को सही दिशा देने वाले समाचार देना चाहिए तभी समाज और राष्ट्र को सही दिशा मिल सकेगी।

    -१२ अक्टूबर २०१६, बुधवार, भोपाल


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    रतन लाल

       1 of 1 member found this review helpful 1 / 1 member

    जो अपनी आलोचना करता है दुनिया कभी उसकी आलोचना नहीं करती। 

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