याद रखो! पशु बलि भी नर बलि की ओर ले जा सकती है। देवता बलि नहीं चाहता क्योंकि देवता तो अहिंसा की ओर ले जाता है हिंसा की ओर नहीं। राष्ट्र का कर्तव्य है कि वह देश में हो रही पशु बलि (कत्ल खाने, मांस निर्यात) को बन्द करवायें। राजा पालक होता है मारक नहीं लेकिन जब राजा अपनी मनमानी करने लगता है तब प्रजा दरिद्र बन जाती है। आज यही तो हो रहा है नेतृत्व हीनता के कारण प्रजा अन्धी हो गई है, घर-घर राजा बन गये हैं इसलिए कोई किसी की नहीं सुन रहा है। स्वराज्य उतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना कि उसको अपने लक्ष्य तक पहुँचा देना महत्वपूर्ण है। हम अपने लक्ष्य तक पहुँचें, सबसे पहले हम अपने लक्ष्य को निर्धारित करें, इसके बाद अपना कदम बढ़ाएँ, देश की उन्नति अवश्य होगी। जो व्यक्ति बड़े पद को पाकर अयोग्य काम करता है, वह अपने देश को बहुत नुकसान पहुँचाता है और अपनी भी अवनति करता है। योग्यता का मूल्यांकन करना चाहिए, जिस व्यक्ति के पास जैसी क्षमता है, योग्यता है उसको वैसा ही पद देना चाहिए। यदि व्यक्ति को योग्यता के अनुसार पद दिया जाता है तो वह अपनी एवं अपने राष्ट्र की उन्नति ही करता है। यदि आप कुछ भी नहीं करना चाहते हो तो नहीं सही लेकिन दो काम अवश्य करो पहला निर्बलों को मत सताओ और दूसरा संग्रहवृत्ति मत रखो। संग्रहवृत्ति मात्र मनुष्य ही करता है, जानवर नहीं। वह जंगल का राजा शेर भी किसी का संग्रह नहीं करता, शेर कभी भी मार करके अपने शिकार को कल के लिए नहीं रखता लेकिन नृसिंह जंगल के शेर से भी अधिक खतरनाक है। पशु तो आज भी अपनी मर्यादाओं में रहते हैं लेकिन इस मनुष्य ने सारी मर्यादाओं को छोड़ दिया। मनुष्य को अपनी जीवन शैली शुद्ध कर लेना चाहिए यदि मनुष्य सुधर जाएगा तो सारी दुनिया सुधर जाएगी, खतरा प्रकृति से नहीं, खतरा मनुष्य से है। प्रकृति ने मनुष्य को खराब नहीं किया लेकिन इस मनुष्य ने प्रकृति को तबाह कर दिया। आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य प्रकृति के अनुरूप चले।
-१९९७, नेमावर