भाषा के माध्यम से भावों का आदान-प्रदान होता है। ऐसे भावों को प्रचार-संप्रेषण करें जिससे भारत वापस लौट आए। 'इण्डिया' नहीं ‘भारत' कहो के स्वर को गुंजाओ। भारत बोली, भारत लिखी, भारत सुनो, भारत के लिए जियो क्योंकि भारत हमारी आन-बान-शान है।
-१५ जुलाई २०१६, सती कॉलेज, विदिशा