-
प्रवचन -आचार्य विद्यासागर जी
संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के प्रवचन संकलन (Discourse)-
आदर्शों के आदर्श 7 - द्रष्टि दोष
-
आदर्शों के आदर्श 8 - कथा नहीं व्यथा समझो
-
आदर्शों के आदर्श 9 - गुरुओं के गुरु आचार्य शांतिसागर
-
आदर्शों के आदर्श 10 - शंखनाद
-
आदर्शों के आदर्श 11 - भक्त का उत्सर्ग
-
आदर्शों के आदर्श 12 - जयंती से परे
-
आदर्शों के आदर्श 13 - मर हम.... मरहम बने
-
सर्वोदयसार 1 - गुरु और प्रभु श्रेष्ट है
-
सर्वोदयसार 2 - एकत्व भावना ही आनंद की जनक
-
सर्वोदयसार 3 - लाघव बनकर ही राघव बनना संभव
-
सर्वोदयसार 4 - घट को अमृत - घट बनाओ
-
सर्वोदयसार 5 - पुरुषार्थ के बिना आत्मा का कल्याण नहीं
-
सर्वोदयसार 6 - मोक्षमार्ग, वायुपथ की तरेह दिखता नहीं
-
सर्वोदयसार 7 - सार सार को गहि रहे
-
सर्वोदयसार 8 - वर्तमान में जीने वाला सुखी
-
सर्वोदयसार 9 - जीवन मधुर कैसे हो
-
सर्वोदयसार 10 - चलने के लिए उभय पक्ष का समन्वय जरुरी
-
सर्वोदयसार 11 - मंजिल की तलाश में यात्रा जारी
-
सर्वोदयसार 12 - ऊपर उठने के लिए हल्का होना अनिवार्य
-
सर्वोदयसार 13 - सामान्य हो जाना ही समाजवाद है
-
सर्वोदयसार 14 - धर्म सनातन होता है
-
सर्वोदयसार 15 - दूध आत्मा व घी परमात्मा है
-
सर्वोदयसार 16 - द्रश्य नहीं द्रष्टा को पहचानो
-
सर्वोदयसार 17 - दर्पण सा संन्यास
-
सर्वोदयसार 18 - टेड़ापन तेरापन नहीं है
-
सर्वोदयसार 19 - करुणामय व्यक्तित्व दुर्लभ है
-
सर्वोदयसार 20 - त्याग और अहिंसा ही हमारा आदर्श
-
सर्वोदयसार 21 - सन्मति मिले समर्थ
-
सर्वोदयसार 22 - आत्मद्रष्टि ही अपना पथ
-
सर्वोदयसार 23 - बड़प्पन श्रेष्ट है बड़ा होना नहीं
-