परीषह क्यों सहना चाहिए ? यह प्रश्न होने पर परीषहों को सहने का उद्देश्य बतलाते हैं-
मार्गाच्यवन-निर्जरार्थं परिषोढव्याः परिषहाः ॥८॥
अर्थ - संवर के मार्ग से च्युत न होने के लिए तथा कर्मों की निर्जरा के लिये परीषहों को सहना चाहिए। अर्थात् जो स्वेच्छा से भूख-प्यास वगैरह के परीषह को सहते हैं, उनके ऊपर जब कोई उपसर्ग आता है, तो कष्ट सहन करने का अभ्यास होने से वे उन उपसर्गों से घबरा कर अपने मार्ग से डिगते नहीं हैं। और इनके सहन करने से कर्मों की निर्जरा भी होती है। अतः विपत्ति के समय मन को स्थिर रखने के लिये परीषहों को सहना ही उचित है।
English - The afflictions or hardships (22 types) are to be endured so as not to swerve from the path of stoppage of karmas and for the sake of dissociation of karmas.