अब आदि के दो शुक्लध्यानों का विशेष कथन करते हैं-
एकाश्रये सवितर्कवीचारे पूर्वे ॥४१॥
अर्थ - आदि के दोनों शुक्लध्यान पूर्ण श्रुतज्ञानी के ही होते हैं, अतः दोनों का आधार एक ही है। तथा दोनों वितर्क और वीचार से सहित हैं।
English - The first two types are based on one substratum and are associated with scriptural knowledge and shifting.