अब शुक्लध्यान के स्वामी बतलाते हैं-
शुक्लेचाद्धेपूर्वविदः ॥३७॥
अर्थ - आदि के दो शुक्लध्यान सकल श्रुत के धारक श्रुतकेवली के होते हैं। ‘च' शब्द से धर्मध्यान भी ले लेना चाहिए। अतः श्रेणी पर चढ़ने से पहले धर्मध्यान होता है और श्रेणी चढ़ने पर क्रम से दोनों शुक्लध्यान होते हैं।
English - The first two types of pure meditation are attained by the saints well-versed in the purvas, the Shrutkevali.