अब संवर का प्रमुख कारण बतलाते हैं-
तपसा निर्जरा च ॥३॥
अर्थ - तप से संवर भी होता है और निर्जरा भी होती है।
English - Penance (austerity) results in stoppage and dissociation.
विशेषार्थ- यद्यपि दस धर्मों में तप आ जाता है, फिर भी तप का अलग से ग्रहण यह बतलाने के लिए किया है कि तप से नवीन कर्मों का आना रुकता है और पहले बन्धे हुए कर्मों की निर्जरा भी होती है। तथा तप संवर का प्रधान कारण है। यद्यपि तप को सांसारिक अभ्युदय का भी कारण बतलाया है, किन्तु तप का प्रधान फल तो कर्मों का क्षय होना है। और गौण फल सांसारिक अभ्युदय की प्राप्ति है। अतः तप अनेक काम करता है।