अब तृतीय कर्म वेदनीय के भेद कहते हैं-
सदसद्वेद्ये ॥८॥
अर्थ - वेदनीय के दो भेद है साता और असाता। जिसके उदय से । जीव देव आदि गतियों में शारीरिक और मानसिक सुख का अनुभव करता है, उसे साता वेदनीय कहते हैं और जिसके उदय से अनेक प्रकार के दुःख का अनुभव करता है, उसे असाता वेदनीय कहते हैं।
English - The two karmas which cause pleasant feeling and unpleasant feeling respectively are the two subtypes of feeling-producing karmas.