दर्शनावरण के नौ भेद कहते हैं-
चक्षुरचक्षुरवधिकेवलानां निद्रानिद्रानिद्राप्रचलाप्रचलाप्रचलास्त्यानगृद्धयश्च ॥७॥
अर्थ - चक्षु दर्शनावरण, अचक्षु दर्शनावरण, अवधि दर्शनावरण, केवल दर्शनावरण, निद्रा, निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला, स्त्यानगृद्धिये दर्शनावरण कर्म के नौ भेद हैं।
English - The four karmas that cover ocular perception, non-ocular intuition, clairvoyant perception and perfect perception, and sleep, deep sleep, drowsiness (sleep in sitting posture), heavy drowsiness (intense sleep in sitting posture) and somnambulism (committing deeds in sleep and not remembering) are the nine subtypes of perception-covering karmas.
विशेषार्थ - जो चक्षु के द्वारा वस्तु का सामान्य ग्रहण न होने दे, वह चक्षु दर्शनावरण है। जो चक्षु के सिवा अन्य इन्द्रियों के द्वारा वस्तु का सामान्य ग्रहण न होने दे, वह अचक्षु दर्शनावरण है। जो अवधि दर्शन को रोके वह अवधि दर्शनावरण और जो केवलदर्शन को न होने दे, वह केवल दर्शनावरण है। मद, खेद और थकान दूर करने के लिए सोना, निद्रा है। गहरी नींद को, जिसमें जीव का आँखें खोलना अशक्य होता है, निद्रानिद्रा कहते हैं। रंज, मेहनत और थकान के कारण बैठे-बैठे ही ऊँघने लगना प्रचला है और प्रचला की अधिकता को प्रचलाप्रचला कहते हैं। जिसके उदय से जीव सोते सोते ही उठ कर कोई बड़ा भारी काम कर डाले, उसे स्त्यानगृद्धि कहते हैं।