आगे इसी बात को कहते हैं-
स यथानाम ॥२२॥
अर्थ - कर्म का जैसा नाम है, वैसा ही उसका फल है। जैसे ज्ञानावरण का फल ज्ञानशक्ति को ढांकना है, दर्शनावरण का फल दर्शनशक्ति को ढांकना है। इसी तरह सभी कर्मों और उनके भेदों का नाम सार्थक है। और नाम के अनुसार ही उनका फल भी होता है।
English - The nature of fruition is according to the names of the karmas.