अब नाम और गोत्र कर्म की उत्कृष्ट स्थिति कहते हैं-
विंशतिर्नामगोत्रयोः ॥१६॥
अर्थ - नाम और गोत्र कर्म की उत्कृष्ट स्थिति बीस कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण है। यह उत्कृष्ट स्थिति भी सैनी पञ्चेन्द्रिय पर्याप्तक मिथ्यादृष्टि जीव के ही होती है।
English - Twenty Sagara kotikoti is the maximum duration of the name-karma and the status-determining karma.