अब मोहनीय की उत्कृष्ट स्थिति कहते हैं-
सप्ततिर्मोहनीयस्य ॥१५॥
अर्थ- मोहनीय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति सत्तर कोड़ा-कोड़ी सागर प्रमाण है। यह उत्कृष्ट स्थिति भी सैनी पञ्चेन्द्रिय पर्याप्तक मिथ्यादृष्टिजीव के ही होती है।
English - Seventy sagara koti-koti is the maximum duration of the deluding karma.