अब गोत्र कर्म की प्रकृतियाँ कहते हैं-
उच्चैर्नीचैश्च ॥१२॥
अर्थ - गोत्र कर्म के दो भेद हैं-उच्च गोत्र और नीच गोत्र। जिसके उदय से लोक में अपने सदाचार के कारण पूज्य कुल में जन्म होता है, उसे उच्च गोत्र कहते हैं और जिसके उदय से निन्दनीय आचरण वाले कुल में जन्म हो, वह नीच गोत्र है।
English - The status determining karmas comprise of the high and the low.