अब आयुकर्म के भेद कहते हैं-
नारकतैर्यग्योनमानुषदैवानि ॥१०॥
अर्थ - नारक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देव ये चार आयुकर्म के भेद हैं। जिसके उदय से नरक में दीर्घकाल तक रहना पड़े वह नरकायु है। जिसके उदय से तिर्यञ्च योनि में रहना पड़े वह तिर्यगायु है। जिसके उदय से मनुष्य पर्याय में जन्म लेना पड़े, वह मनुष्यायु है और जिसके उदय से देवों में जन्म हो, वह देवायु है |
English - The life-karmas determine the quantum of life in the states of existence as infernal beings, plants animals, immobile beings, human beings, and celestial beings.