दूसरे सत्यव्रत की भावनाएँ कहते हैं-
क्रोधलोभभीरुत्वहास्यप्रत्याख्यानान्यनुवीचि भाषणं च पञ्च ॥५॥
अर्थ - क्रोध का त्याग, लोभ का त्याग, भय का त्याग, हँसी दिल्लगी का त्याग और हित मित वचन बोलना, ये पाँच सत्य व्रत की भावनाएं हैं। आशय यह है कि मनुष्य क्रोध से, लालच से, भय से और हँसी करने के लिए झूठ बोलता है। अतः इनसे बचते रहना चाहिए और जब बोले तो सावधानी से बोले, जिससे कोई बात ऐसी न निकल जाये जो दूसरे को कष्टकर हो।