सामायिक के अतिचार कहते हैं-
योगदुष्प्रणिधानानादरस्मृत्यनुपस्थानानि ॥३३॥
अर्थ - कायदुष्प्रणिधान (सामायिक करते समय शरीर को निश्चल न रखना), वाग्दुष्प्रणिधान (सामायिक के मंत्र को अशुद्ध और जल्दीजल्दी बोलना), मनोदुष्प्रणिधान (सामायिक में मन को न लगाना), अनादर (अनादर पूर्वक सामायिक करना), स्मृत्यनुपस्थापन (चित्त की चंचलता से पाठ वगैरह को भूल जाना) ये पाँच सामायिक के अतिचार हैं।
English - The Misdirected activity of mind, speech, and body, lack of earnestness and fluctuation of thought are the five transgressions of concentration.
Edited by Vidyasagar.Guru