इसके बाद देशव्रत के अतिचार कहते हैं-
आनयनप्रेष्यप्रयोगशब्दरूपानुपातपुद्गलक्षेपाः ॥३१॥
अर्थ - आनयन (अपने संकल्पित देश में रहते हुए मर्यादा से बाहर के क्षेत्र की वस्तु को किसी के द्वारा मंगाना), प्रेष्यप्रयोग (मर्यादा के बाहर के क्षेत्र में किसी को भेजकर काम करा लेना), शब्दानुपात (मर्यादा के बाहर के क्षेत्र में काम करने वाले पुरुषों को लक्ष्य करके खांसना वगैरह, जिससे वे आवाज सुनकर जल्दी-जल्दी काम करें), रूपानुपात (मर्यादा के बाहर काम करने वाले पुरुषों को अपना रूप दिखाकर काम कराना), पुद्गलक्षेप (मर्यादा के बाहर पत्थर वगैरह फेंककर अपना काम करा लेना) ये पाँच देशविरति व्रत के अतिचार हैं।
English - Asking someone staying outside the country of one's resolve to bring something from there, commanding someone there to do something, indicating one's intentions by sounds, by showing oneself, and by throwing clod etc. are the five transgressions of the minor vow to abstain from activities beyond a country.