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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 7 : सूत्र 26

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    Vidyasagar.Guru

    अब सत्य अणुव्रत के अतिचार कहते हैं-

     

    मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहारसाकारमन्त्र-भेदाः ॥२६॥

     

     

    अर्थ - मिथ्योपदेश, रहोभ्याख्यान, कूट-लेख-क्रिया, न्यासापहार और साकार-मन्त्र-भेद- ये पाँच सत्याणुव्रत के अतिचार हैं।

     

    English - Perverted teaching, divulging what is done under secrecy, forgery, misappropriation, and proclaiming others' thoughts are the five transgressions of truth.

     

    विशेषार्थ - झूठ और अहितकर उपदेश देना मिथ्योपदेश है। स्त्री और पुरुष के द्वारा एकान्त में की गयी क्रिया को प्रकट कर देना रहोभ्याख्यान है। किसी का दबाव पड़ने से ऐसी झूठ बात लिख देना, जिससे दूसरा फँस जाये, सो कूटलेख क्रिया है। कोई आदमी अपने पास कुछ धरोहर रख जाये और भूल से कम मांगे तो उसको उसकी भूल न बतला कर जितनी वह माँगे उतनी ही दे देना न्यासापहार है। चर्चा वार्ता से अथवा मुख की आकृति वगैरह से दूसरे के मन की बात को जान कर लोगों पर इसलिए प्रकट कर देना कि उसकी बदनामी हो, सो साकार-मंत्र-भेद है। ये सत्याणुव्रत के पाँच अतिचार हैं।


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