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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 7 : सूत्र 19

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    Vidyasagar.Guru

    आगे व्रती के भेद बतलाते हैं-

     

    अगार्यनगारश्च ॥१९॥

     

     

    अर्थ - व्रती के दो भेद हैं - एक अगारी यानि गृहस्थ श्रावक और दूसरा अनगारी यानि गृहत्यागी साधु।

     

    English - The votaries are of two kinds - those who live in homes and those who have denounced home.

     

    शंका - एक साधु किसी देवालय में या खाली पड़े घर में आकर ठहर गये तो वे अगारी हो जायेंगे। और एक गृहस्थ अपनी स्त्री से झगड़ कर जंगल में जा बसा तो वह अनगारी कहलायेगा ?

    समाधान - अगार यद्यपि मकान को कहते हैं, किन्तु यहाँ बाहरी मकान न लेकर मानसिक मकान लेना चाहिए। अतः जिस मनुष्य के मन में घर बसा कर रहने की भावना है, वह भले ही जंगल में चला जाये, अगारी ही कहा जायेगा। और जिसके मन में वैसी भावना नहीं है, वह कुछ समय के लिए किसी मकान में ठहरने पर भी अगारी नहीं कहा जायेगा।


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