अब परिग्रह का लक्षण कहते हैं-
मूर्छा परिग्रहः ॥१७॥
अर्थ - बाह्य गाय, भैंस, मणि, मुक्ता वगैरह चेतन-अचेतन वस्तुओं में तथा आन्तरिक राग, द्वेष, काम, क्रोधादि विकारों में जो ममत्व भाव है; कि ये मेरे हैं, इस भाव का नाम मूर्छा है और मूर्छा ही परिग्रह है। वास्तव में अभ्यन्तर ममत्व भाव ही परिग्रह है, क्योंकि पास में एक पैसा न होने पर भी जिसे दुनिया भर की तृष्णा है, वह परिग्रही है। बाह्य वस्तुओं को तो इसलिये परिग्रह कहा है कि वे ममत्व भाव के होने में कारण होती हैं।
English - Infatuation is the desire through pramattayoga for acquisition, safeguarding, and addition to external and internal possessions.