अनृत का लक्षण कहते हैं-
असदभिधानमनृतम् ॥१४॥
अर्थ - जिससे प्राणियों को पीड़ा पहुँचती हो, वह बात सच्ची हो अथवा झूठी हो उसे कहना अनृत अथवा असत्य है। जैसे काने मनुष्य को काना कहना झूठ नहीं है फिर भी इससे उसको पीड़ा पहुँचती है, इसलिए ऐसा कहना असत्य ही है। आशय यह है तथा जैसा पहले ही लिख आये हैं कि प्रधान व्रत अहिंसा है। बाकी के चार व्रत उसी के पोषण और रक्षण के लिए हैं। अतः जो वचन हिंसाकारक है, वह असत्य है।
English - Speaking through pramattayoga what is not commendable is the falsehood.