आगे चारित्र-मोह के आस्रव का कारण कहते हैं-
कषायोदयात्तीव्रपरिणामश्चारित्रमोहस्य ॥१४॥
अर्थ - कषाय के उदय से परिणामों में कलुषता के होने से चारित्र मोहनीय कर्म का आस्रव होता है।
English - Intense feelings induced by the rise of the passions cause the influx of the conduct-deluding karmas.