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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 5 : सूत्र 25

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    Vidyasagar.Guru

    अब पुद्गल के भेद कहते हैं-

     

    अणवः स्कन्धाश्च ॥२५॥

     

     

    अर्थ - पुद्गल के दो भेद हैं- अणु और स्कन्ध। जिसका दूसरा भाग नहीं हो सकता, उस अविभागी एक प्रदेशी पुद्गल द्रव्य को अणु या परमाणु कहते हैं। और जो स्थूल हो, जिसे उठा सके, रख सके, वह स्कन्ध है। यद्यपि ऐसे भी स्कन्ध हैं, जो दिखायी नहीं देते। फिर भी वे स्कन्ध ही कहलाते हैं, क्योंकि दो या दो से अधिक परमाणुओं के मेल से जो पुद्गल बनता है, वह स्कन्ध कहा जाता है।

     

    English - The elementary particle and the stock (a number of elementary particles under one unified identity) are the two main divisions of matter.

     

    विशेषार्थ - पुद्गल बहुत तरह के होते हैं, किन्तु वे सब दो जाति के होते हैं। अतः अणु और स्कन्ध में उन सभी का अन्तर्भाव हो जाता है। ऊपर कहे हुए बीस गुणों में से एक परमाणु में कोई एक रस, एक गन्ध, एक वर्ण और शीत, उष्ण में से एक तथा स्निग्ध, रूक्ष में से एक इस तरह दो स्पर्श रहते हैं। ऊपर जो शब्दादि गिनाये हैं, वे सब स्कन्ध हैं। स्कन्धों में अनेक रस, अनेक रूप वगैरह पाये जाते हैं।


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