पुद्गल द्रव्य का और भी उपकार बतलाते हैं-
सुखदुःखजीवितमरणोपग्रहाश्च ॥२०॥
अर्थ - सुख, दुःख, जीवन, मरण भी पुद्गलकृत उपकार हैं।
English - The function of matter is also to contribute to sensuous pleasure, suffering, life, and death of living beings.
विशेषार्थ - साता वेदनीय के उदय से और बाह्य द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के निमित्त से आत्मा को जो प्रसन्नता होती है, वह सुख है। और असाता वेदनीय के उदय से जो संक्लेश रूप भाव होता है, वह दुःख है। आयुकर्म के उदय से एक भाव में स्थित जीव के श्वासोच्छ्वास का जारी रहना जीवन है और उसका उच्छेद हो जाना मरण है। ये भी पुद्गल के निमित्त से ही होते हैं, अतः पौगलिक हैं।
यहाँ उपकार का प्रकरण होने पर भी सूत्र में जो ‘उपग्रह' पद दिया है, वह यह बतलाने के लिए दिया है कि पुद्गल जीव का ही उपकार नहीं करता, किन्तु पुद्गल पुद्गल का भी उपकार करता है। जैसे राख से कांसे के बर्तन साफ किये जाते हैं या निर्मली डालने से मैला पानी साफ हो जाता है। तथा यहाँ उपकार का मतलब केवल भलाई नहीं लेना चाहिए, बल्कि किसी भी कार्य में सहायक होना उपकार है।