अब इनकी संज्ञा बतलाते हैं-
द्रव्याणि ॥२॥
अर्थ - ये धर्म, अधर्म आदि द्रव्य हैं। जो त्रिकालवर्ती अपनी पर्यायों को प्राप्त करता है, उसे द्रव्य कहते हैं, द्रव्य का लक्षण सूत्रकार ने आगे स्वयं कहा है।
English - These (four) are substan-ces (drayas).