कल्पातीत देवों की आयु बतलाते हैं-
आरणाच्युतादूर्ध्वमेकैकेन नवसु ग्रैवेयकेषु विजयादिषु सर्वार्थसिद्धौ च ॥३२॥
अर्थ - आरण और अच्युत स्वर्ग के ऊपर नौ ग्रैवेयकों में एक-एक सागर आयु बढ़ती जाती है। अत: पहले ग्रैवेयक में तेईस सागर की और अन्तिम ग्रैवेयक में इकतीस सागर की आयु है। उससे एक सागर अधिक यानि बत्तीस सागर की आयु अनुदिश विमानों में है। उससे एक सागर अधिक यानि तैंतीस सागर की आयु विजयादि विमानों में है और सर्वार्थसिद्धि में तैंतीस सागर की ही आयु है उससे कम नहीं हैं।
English - Above Arana and Achyuta, the last pair of Kalpas, the maximum lifespan in each of nine Graiveyak increases by one sagaras and the last Graiyeyak having 31 sagaras. The maximum lifespan of the Heavenly beings in all nine Anudish is 32 sagaras and in all five Anuttar is 33 sagaras. The lifespan of the Heavenly beings in sarvarthsiddhi is fixed as 33 sagaras.