अब सौधर्म और ऐशान स्वर्ग के देवों की आयु बतलाते हैं-
सौधर्मेशानयोः सागरोपमे अधिके ॥२९॥
अर्थ - सौधर्म और ऐशान स्वर्ग के देवों की आयु दो सागर से कुछ अधिक है।
English - The maximum lifespan of Heavenly beings is same in the pair of two Kalpas. In the first pair of Saudharma and Aishana Kalpas, the maximum lifespan is a little over two sagaras.
विशेषार्थ - वैसे तो सौधर्म और ऐशान स्वर्ग में दो सागर की ही उत्कृष्ट आयु है, किन्तु घातायुष्क सम्यग्दृष्टि के दो सागर से करीब आधा। सागर आयु अधिक होती है। आशय यह है कि जो मनुष्य अथवा तिर्यञ्च सम्यग्दृष्टि विशुद्ध परिणामों से ऊपर के स्वर्गों की आयु को बाँधकर पीछे संक्लेश परिणाम से आयु का घात कर लेता है। उसे घातायुष्क सम्यग्दृष्टि कहते हैं। जैसे किसी मनुष्य ने दसवें स्वर्ग की आयु बाँधी। पीछे उसके संक्लेश परिणाम हो गये। अतः वह बन्धी हुई आयु को घटा कर दूसरे स्वर्ग में उत्पन्न हुआ तो उसकी दूसरे देवों की उत्कृष्ट आयु-दो सागर से अन्तर्मुहूर्त कम आधा सागर आयु अधिक होती है। ऐसे घातायुष्क जीव बारहवें स्वर्ग तक ही उत्पन्न होते हैं। अत: कुछ अधिक आयु भी वहाँ तक बतलायी है, आगे नहीं बतलायी।