आगे वैमानिक देवों के भेद कहते हैं-
कल्पोपपन्नाः कल्पातीताश्च ॥१७॥
अर्थ - वैमानिक देवों के दो भेद हैं - कल्पोपपन्न और कल्पातीत। जहाँ इन्द्र आदि की कल्पना होती है। उन सोलह स्वर्गों को कल्प कहते हैं। और जहाँ इन्द्र आदि की कल्पना नहीं होती, उन ग्रैवेयक वगैरह को कल्पातीत कहते हैं।
English - Vaimanikas are of two kinds, those born in the sixteen Heavens or Kalpas and those born beyond these Kalpas.