ज्योतिष्क देवों का गमन बतलाते हैं-
मेरुप्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके ॥१३॥
अर्थ - ज्योतिषी देव मनुष्यलोक में मेरु की प्रदक्षिणा रूप से सदा गमन करते रहते हैं।
English - In the human region (Jambudvipa-Lavanodadaya ocean, Dhatakikhanda divapa-Kalodadhi ocean dvipa and inner half of Pushkardvipa) the Stellar devas are characterized by incessant motion around Meru.
विशेषार्थ - अढाई द्वीप और दो समुद्रों को मनुष्यलोक कहते हैं। मनुष्यलोक के ज्योतिषी देव मेरु से ग्यारह सौ इक्कीस योजन दूर रहकर उसके चारों ओर सदा घूमते रहते हैं। जम्बूद्वीप में दो, लवण समुद्र में चार, धातकीखंड में बारह, कालोदधि में बयालीस और पुष्करार्ध में बहत्तर चन्द्रमा हैं और एक चन्द्रमा के परिवार में एक सूर्य, अठासी ग्रह, अठाईस नक्षत्र और छियासठ हजार नौ सौ पचहत्तर कोड़ा कोड़ी तारे होते हैं।