अब नारकियों की आयु बतलाते हैं-
तेष्वेकत्रिसप्तदशसप्तदशद्वाविंशतित्रयस्त्रिंशत्सागरोपमा
सत्त्वानां पर स्थितिः ॥६॥
अर्थ - नारकी जीवों की उत्कृष्ट आयु पहली पृथ्वी में एक सागर, दूसरी में तीन सागर, तीसरी में सात सागर, चौथी में दश सागर, पाँचवीं में सत्रह सागर, छठी में बाईस सागर और सातवीं में तैंतीस सागर होती है।
English - The maximum lifespan of the infernal beings in the first to seventh infernal earth is one, three, seven, ten, seventeen, twenty-two and thirty-three sagar respectively.
इस तरह अधोलोक का वर्णन किया। आगे मध्य लोक का वर्णन करते हैं। मध्य लोक को तिर्यग्लोक भी कहते हैं, क्योंकि स्वयंभूरमण समुद्र तक एक दूसरे को घेरे हुए असंख्यात द्वीप समुद्र तिर्यक् (आजू-बाजू) रूप से स्थित हैं। इस तरह अधोलोक का वर्णन किया। आगे मध्य लोक का वर्णन करते हैं। मध्य लोक को तिर्यग्लोक भी कहते हैं, क्योंकि स्वयंभूरमण समुद्र तक एक दूसरे को घेरे हुए असंख्यात द्वीप समुद्र तिर्यक् (आजू-बाजू) रूप से स्थित हैं।