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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 3 : सूत्र 34

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    Vidyasagar.Guru

    आगे पुष्करवर द्वीप का वर्णन करते हैं-

     

    पुष्करार्द्धे च ॥३४॥

     

     

    अर्थ - आधे पुष्करवर द्वीप में भी भरत आदि क्षेत्र तथा हिमवन् आदि पर्वत दो-दो हैं।

     

    English - Pushkaradvipa is divided into two halves by the Manushottara mountain. Half of Puskaradvipa towards Dhatakikhanda also has regions, mountains, lakes, rivers etc. twice that in Jambudvipa.

     

    विशेषार्थ - पुष्करवर द्वीप के बीच में चूड़ी के आकार का एक मानुषोत्तर पर्वत पड़ा हुआ है। उसके कारण द्वीप के दो भाग हो गये हैं। इसी से आधे पुष्करवर द्वीप में ही भरत आदि की रचना बतलायी है। पुष्करार्ध में दक्षिण और उत्तर दिशा में दो इष्वाकार पर्वत हैं, जो एक ओर कालोदधि को छूते हैं तो दूसरी ओर मानुषोत्तर पर्वत को छूते हैं। इससे द्वीप के दो भाग हो गये हैं- एक पूर्व पुष्करार्ध और दूसरा पश्चिम पुष्कराई। दोनों भागों के बीच में एक-एक मेरु पर्वत है। और उनके दोनों ओर भरत आदि क्षेत्र व पर्वत हैं। जहाँ जम्बूद्वीप में जम्बूवृक्ष है, वहीं पुष्करार्ध में परिवार सहित पुष्कर वृक्ष है। उसी से द्वीप का नाम पुष्कर द्वीप पड़ा है।


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