इन क्षेत्रों के मनुष्यों की आयु बतलाते हैं
एकद्वित्रिपल्योपमस्थितयो
हैमवतकहारिवर्षकदैवकुरवकाः ॥२९॥
अर्थ - हैमवत क्षेत्र के मनुष्यों की आयु एक पल्य की है। हरिवर्ष क्षेत्र के मनुष्यों की आयु दो पल्य की है। और देवकुरु के मनुष्यों की आयु तीन पल्य की है।
English - The lifespan of the human beings in Haimavata, Hari, and Devakuru (an area in the south of the Sumeru) are one, two and three palyas respectively; body height is 2000, 4000 and 6000 Dhanush (1000 Dhanush equal to 1 mile) respectively; take food after one, two and three days respectively; colour of the body is blue, white and golden respectively. These conditions reflect the third �lq"eknq" "kek" second �lq"Ek" and first �lq"eklq" ek" periods respectively of the degeneration aeon (Avsarpini).
विशेषार्थ - इन तीनों क्षेत्रों में सदा भोगभूमि रहती है। भोगभूमि के मनुष्य सदा युवा रहते हैं। उन्हें कोई रोग नहीं होता और न मरते समय कोई वेदना ही होती है। बस पुरुषों को जंभाई और स्त्री को छींक आती है और उसी से उनका मरण हो जाता है। मरण होने पर उनका शरीर कपूर की तरह उड़ जाता है। भोगभूमि में न पुण्य होता है और न पाप हाँ, किन्हीं को सम्यक्त्व अवश्य होता है। मरण होने पर सम्यग्दृष्टि तो सौधर्म या ईशान स्वर्ग में देव होते हैं और मिथ्यादृष्टि भवनत्रिक में जन्म लेते हैं। वहाँ के पशु भी मरकर देव होते हैं। उनमें परस्पर में ईर्ष्या द्वेष नहीं होता। सूर्य की गर्मी पृथ्वी तक न आ सकने के कारण वर्षा भी नहीं होती। कल्पवृक्षों के द्वारा प्राप्त वस्तुओं से ही मनुष्य अपना जीवन निर्वाह सानन्द करते हैं। वहाँ न कोई स्वामी है और न सेवक, न कोई राजा है न प्रजा प्राकृतिक साम्यवाद का सुख सभी भोगते हैं। अब उत्तर जम्बूद्वीपों के क्षेत्रों की स्थिति बतलाते हैं |