यदि वैक्रियिक शरीर उपपाद जन्म से उत्पन्न होता है, तो क्या बिना उपपाद जन्म के वैक्रियिक शरीर नहीं होता ? इस आशंका को दूर करने के लिए आगे का सूत्र कहते हैं-
लब्धिप्रत्ययं च ॥४७॥
अर्थ - लब्धि से भी वैक्रियिक शरीर होता है। विशेष तपस्या करने से जो ऋद्धि की प्राप्ति होती है, उसे लब्धि कहते हैं। अतः मनुष्यों के तप के प्रभाव से भी वैक्रियिक शरीर हो जाता है।
English - Attainment through special penance is also the cause of the origin of a transformable body.