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सोशल मीडिया / गुरु प्रभावना धर्म प्रभावना कार्यकर्ताओं से विशेष निवेदन ×
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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 3 : सूत्र 31

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    Vidyasagar.Guru

    इस तरह छह सूत्रों के द्वारा गति का कथन करके अब जन्म के भेद बतलाते हैं-

     

    सम्मूच्र्छन-गर्भोपपादाज्जन्म ॥३१॥

     

     

    अर्थ - जन्म तीन प्रकार का है-सम्मूर्छन-जन्म, गर्भ-जन्म और उपपादजन्म।

     

    English - Birth is by spontaneous generation, from the uterus or in the special bed.

     

    तीनों लोकों में सर्वत्र बिना माता-पिता के सम्बन्ध के सब ओर से पुद्गलों को ग्रहण करके जो शरीर की रचना हो जाती है, उसे सम्मूर्छन जन्म कहते हैं। स्त्री के उदर में माता-पिता के रज-वीर्य के मिलने से जो शरीर की रचना होती है, उसे गर्भ जन्म कहते हैं। और जहाँ जाते ही एक अन्तर्मुहूर्त में पूर्ण शरीर बन जाता है, ऐसे देव और नारकियों के जन्म को उपपाद जन्म कहते हैं। इस तरह संसारी जीवों के तीन प्रकार के जन्म हुआ करते हैं।


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