आगे शेष इन्द्रियों के स्वामियों को बतलाते हैं
कृमिपिपीलिका-भ्रमरमनुष्यादीनामेकैकवृद्धानि ॥२३॥
अर्थ - कृमि आदि के एक एक इन्द्रिय अधिक होती हैं।
English - The worm, the ant, the bee, and man, etc. have each one more sense than the preceding one.
अर्थात् लट, शंख, जोंक वगैरह के स्पर्शन और रसना-ये दो इन्द्रियाँ होती हैं। चींटी, खटमल वगैरह के स्पर्शन, रसना, घ्राण-ये तीन इन्द्रियाँ होती हैं। भौंरा, मक्खी, डाँस (मच्छर) वगैरह के स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु-ये चार इन्द्रियाँ होती हैं और मनुष्य, पशु, पक्षी वगैरह के पाँचों इन्द्रियाँ होती
हैं।