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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 2 : सूत्र 17

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    Vidyasagar.Guru

    अब द्रव्येन्द्रिय का स्वरुप कहते हैं

     

    निर्वृत्त्युपकरणे द्रव्येन्द्रियम् ॥१७॥

     

     

    अर्थ - निवृत्ति और उपकरण को द्रव्येन्द्रिय कहते हैं।

     

    English -  The material sense consists of accomplishment of the organ itself and means or instruments along with its protecting environment.

     

    कर्म के द्वारा होने वाली रचना - विशेष को निर्वृत्ति कहते हैं। निर्वृत्ति दो प्रकार की होती है-आभ्यन्तर निवृत्ति और बाह्य निर्वृत्ति। उत्सेधांगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण विशुद्ध आत्मप्रदेशों की इंद्रियों के आकाररूप रचना होने को आभ्यन्तर निर्वृत्ति कहते हैं तथा उन आत्मप्रदेशों के प्रतिनियत स्थान में पुद्गलों की इन्द्रिय के आकाररूप रचना होने को बाह्य निर्वृत्ति कहते हैं। निर्वृति का उपकार करने वाले पुद्गलों को उपकरण कहते हैं। उपकरण के भी दो भेद होते हैं - आभ्यन्तर और बाह्य। जैसे नेत्रों में जो काला और सफेद मण्डल है, वह आभ्यन्तर उपकरण है और पलक वगैरह बाह्य उपकरण हैं।


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