आगे मन:पर्यय ज्ञान का विषय बतलाते हैं।-
तदनन्तभागे मन:पर्ययस्य ॥२८॥
अर्थ - सर्वावधिज्ञान जिस रूपी द्रव्य को जानता है, उसके अनन्तवें भाग को मन:पर्यय ज्ञान जानता है। सारांश यह कि अवधिज्ञान से मनःपर्यय ज्ञान अत्यन्त सूक्ष्म द्रव्य को जानने की शक्ति रखता है।
English - The scope of telepathy is the infinitesimal part of the matter ascertained by clairvoyance.
शंका - सर्वावधि ज्ञान का विषय तो परमाणु बतलाया है और उसके अनन्तवें भाग को मनःपर्यय जानता है ऐसा कहा है। सो परमाणु के अनन्त भाग कैसे हो सकते हैं ?
समाधान - एक परमाणु में स्पर्श, रूप, रस और गन्ध गुण के अनन्त अविभागी प्रतिच्छेद (शक्ति के अंश) पाये जाते हैं। अतः उनकी अपेक्षा से परमाणु का भी अनन्तवाँ भाग होना सम्भव है।