उनमें से प्रथम भवप्रत्यय अवधिज्ञान के स्वामी बतलाते हैं-
भवप्रत्ययोऽवधिर्देवनारकाणाम्॥२१॥
अर्थ - भवप्रत्थय अवधिज्ञान देवों और नारकियों के होता है।
English - Clairvoyance (avadhi) based on birth is possessed by celestial and infernal beings.
विशेषार्थ - अवधिज्ञान अवधिज्ञानावरण कर्म और वीर्यान्तराय कर्म के क्षयोपशम से होता है और क्षयोपशम व्रत, नियम वगैरह के आचरण से होता है। किन्तु देवों और नारकियों में व्रत, नियम वगैरह नहीं होते। अतः उनमें देव और नारकी का भव पाना ही क्षयोपशम के होने में कारण होता है। इसी से उनमें होने वाला अवधिज्ञान भवप्रत्यय (जिसके होने में भव ही कारण है) कहा जाता है। अर्थात् जो देव और नारकियों में जन्म लेता है, उसके अवधि ज्ञानावरण कर्म का क्षयोपशम हो ही जाता है। अत: वहाँ क्षयोपशम के होने में भव ही मुख्य कारण है। इतना विशेष है कि सम्यग्दृष्टियों के अवधिज्ञान होता है और मिथ्यादृष्टियों के कुअवधि ज्ञान होता है।