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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • अध्याय 8 - तीर्थंकर पार्श्वनाथ

       (1 review)

    चौबीस तीर्थंकरों में सबसे ज्यादा उपसर्गों को सहन करने वाले तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीवन परिचय एवं चारित्र के विकास का वर्णन इस अध्याय में है।

     

    बालक पार्श्वनाथ का जन्म ईसा पूर्व 877 सन् में बनारस में हुआ था। जब बालक पार्श्वकुमार 16 वर्ष के हो गए तब वे एक दिन क्रीड़ा करने के लिए अपने साथियों के साथ नगर के बाहर गए। वहाँ क्या देखते हैं कि एक तापसी जो उनका नाना महीपाल था, नानी के वियोग में पञ्चाग्नि तप तपने वाला तापसी हो गया था। वह अग्नि में लकड़ी डाल रहा था। पार्श्वकुमार ने उसे रोका और कहा कि तुम क्या कर रहे हो? इसमें एक नाग-नागिन का युगल जल रहा है। जब जलती हुई लकड़ी को चीरा गया तब सचमुच वह जोड़ा जल रहा था। पार्श्वकुमार ने उस युगल को उपदेश दिया। उपदेश सुनते-सुनते उनका मरण हुआ और वह युगल धरणेन्द्र-पद्मावती हुए। कालान्तर में वह तापसी भी संक्लेश को प्राप्त होकर मरण को प्राप्त हुआ और वह संवर नामक ज्योतिषी देव हुआ।
    30 वर्ष की आयु में पार्श्वकुमार को वैराग्य उत्पन्न हो गया और उन्होंने समस्त परिग्रह को छोड़कर दिगम्बरी दीक्षा धारण कर ली तथा 4 माह का छद्मस्थ काल रहा और 4 माह के अन्त में 7 दिनों का योग लेकर वे धम्र्यध्यान को बढ़ाते हुए विराजमान थे, तभी आकाश मार्ग से संवरदेव विमान में जा रहा था। उसका विमान रुक गया और उसने विभङ्गज्ञान से इसका कारण जाना तो पूर्व भव का बैर स्पष्ट दिखने लगा तब उस दुर्बुद्धि ने उन पर अनेक प्रकार के उपसर्ग प्रारम्भ कर दिए। प्रत्येक कर्म की अति का होना इति का सूचक है। धरणेन्द्र-पद्मावती ने अवधिज्ञान से यह उपसर्ग जाना तो वह अपने उपकारक पार्श्वनाथ मुनि की रक्षा के लिए आए और उनकी रक्षा की। पार्श्वप्रभु ध्यान में लीन रहे और उन्होंने केवलज्ञान को प्राप्त कर लिया। केवलज्ञान प्राप्त होते ही उपसर्ग दूर हुआ और वह कमठ का जीव संवर भी प्रभु चरणों में अपने किए हुए कर्म की क्षमा माँगता रहा और उसे भी सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हो गई।
    केवलज्ञान होते ही समवसरण की रचना हुई और प्रभु ने अनेक स्थानों पर जाकर धर्मोपदेश दिया। अन्त में आयु का एक माह शेष रहने पर योग निरोध करने के लिए समवसरण छोड़कर सम्मेदशिखरजी पधारे और वहीं से मोक्ष प्राप्त किया। (चौबीसी पुराण में मित्र का नाम सुभौम लिखा है।)


    1. बालक पार्श्वनाथ कौन-से स्वर्ग से आए थे?
    प्राणत स्वर्ग (चौदहवें स्वर्ग) से आए थे। 


    2. पार्श्वकुमार का अपर नाम क्या था ?
    पार्श्वकुमार का अपर नाम सुभौम था। (उत्तरपुराण,73/103) 


    3. पार्श्वकुमार के माता - पिता का क्या नाम था ?
    माता वामादेवी (ब्राह्मी) पिता विश्वसेन (अश्वसेन) था। 


    4. पार्श्वकुमार का जन्म किस वंश में हुआ था ?
    पार्श्वकुमार का जन्म उग्रवंश में हुआ था।


    5. पार्श्वनाथ के कल्याणक किन - किन तिथियों में हुए थे?
    गर्भकल्याणक - वैशाख कृष्ण द्वितीया।

    जन्मक्रयाणक्र - पौष कृष्ण एकादशी।

    दीक्षाकल्याणक - पौष कृष्ण एकादशी।

    ज्ञानकल्याणक - चैत्र कृष्ण चतुर्थी।
    मोक्षकल्याणक - श्रावण शुक्ल सप्तमी।


    6. पार्श्वकुमार की दीक्षा स्थली, दीक्षा वन एवं दीक्षा वृक्ष का क्या नाम था ?

    पार्श्वकुमार की दीक्षा स्थली-वाराणासी, दीक्षा वन - अश्ववन/अश्वत्थ वन एवं दीक्षा वृक्ष-धाव/देवदारु वृक्ष।


    7. मुनि पार्श्वनाथ की पारणा कहाँ एवं किसके यहाँ हुई थी ?

    मुनि पार्श्वनाथ की पारणा गुलमखेट (द्वारावती) में राजा ब्रह्मदत्त के यहाँ हुई। 


    8. मुनि पार्श्वनाथ को केवलज्ञान कहाँ एवं किस वृक्ष के नीचे हुआ था ?

    मुनि पार्श्वनाथ को केवलज्ञान अश्ववन (काशी) में देवदारु वृक्ष के नीचे हुआ था। 


    9. तीर्थंकर पार्श्वनाथ की आयु एवं ऊँचाई कितनी थी?

    तीर्थंकर पार्श्वनाथ की आयु 100 वर्ष एवं ऊँचाई 9 हाथ थी।

     
    10. तीर्थंकर पार्श्वनाथ को मोक्ष कहाँ से हुआ था ?

    तीर्थंकर पार्श्वनाथ को मोक्ष सम्मेदशिखरजी के स्वर्णभद्र कूट से हुआ था। 


    11. तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने कितने वर्ष उपदेश दिया था ?

    तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने 69 वर्ष 7 माह उपदेश दिया था |


    12. तीर्थंकर  पार्श्वनाथ के मुख्य गणधर, मुख्य गणिनी एवं मुख्य श्रोता कौन थे?

    तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मुख्य गणधर स्वयंभू, मुख्य गणिनी सुलोचना एवं मुख्य श्रोता महासेन थे। 


    13. तीर्थंकर पार्श्वनाथ के समवसरण में कितने मुनि, आर्यिका, श्रावक और श्राविकाएँ थीं?

    तीर्थंकर पार्श्वनाथ के समवसरण में 16,000 मुनि, 38,000 आर्यिकाएँ, 1 लाख श्रावक और 3 लाख श्राविकाएँ थीं।


    14. तीर्थंकर पार्श्वनाथ के यक्ष-यक्षिणी का क्या नाम था ?

    तीर्थंकर पार्श्वनाथ के यक्ष मातंग, यक्षिणी पद्मावती थी। 


    15. तीर्थंकर पार्श्वनाथ एवं कमठ के पूर्व भव कौन-कौन से थे?

        पार्श्वनाथ         

                कमठ
    1.विश्वभूत ब्राह्मण का पुत्र मरुभूति  विश्वभूति ब्राह्मण का पुत्र मरुभूति का बड़ा भाई कमठ 
    2.वज़घोष हाथी   कुक्कुटसर्प
    3.सहस्रार स्वर्ग (12 वाँ) में देव

     धूम प्रभा नरक

    4.अग्निवेग विद्याधर   

     अजगर

    5.अच्युत स्वर्ग (16 वाँ) में     देव छठवें नरक
    6.वज्रनाभि चक्रवतीं       कुरङ्ग भील
    7.मध्यमग्रैवेयक में अहमिन्द्र   सप्तम नरक
    8.आनन्द राजा    सिंह
    9.आनत नामक स्वर्ग (13 वाँ) के प्राणत विमान में इन्द्र       

     पाँचवें नरक

    10.तीर्थंकर पार्श्वनाथ     महीपाल राजा एवं संवर नामक ज्योतिषी देव (पा.च.)

                         
    16. तीर्थंकर पार्श्वनाथ का तीर्थकाल कितने वर्ष रहा था ?
    तीर्थंकर पार्श्वनाथ का तीर्थकाल 278 वर्ष रहा था। (त.प.4/1285)


    17. कमठ के जीव ने कितनी बार पार्श्वनाथ के जीव को प्राणों से रहित किया था ?
    कमठ के जीव ने पाँच बार पार्श्वनाथ के जीव को प्राणों से रहित किया था।

    Edited by admin


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    रतन लाल

      

    सुन्दर प्रस्तुति तीर्थंकर पार्श्वनाथ के जीवन पर

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