धार्मिकदूष्टि से, वैज्ञानिक द्रष्टि से जल छानकर पीना चाहिए। अत: हृस अध्याय में जल छानने की विधि का वर्णन है।
1. जल क्यों छाना जाता है ?
जल में जो अनेक सूक्ष्म (त्रस) जीव रहते हैं, उनकी रक्षा के लिए जल को छाना जाता है। बिना छने जल का प्रयोग करने से उसमें रहने वाले जीवों का अवसान (मरण) होता है एवं जीव पेट में जाकर रोग भी उत्पन्न करते हैं। इससे छने पानी का प्रयोग करना चाहिए।
2. पानी स्वयं जीव है, तो छानने से जीव कैसे बचेंगे ?
पानी छानने से त्रस जीवों की रक्षा होती है। जलकायिक की नहीं।
3. एक बूंद जल में जैनधर्म के अनुसार कितने जीव हैं ?
एक बूंद जल में जैनधर्म के अनुसार संख्यात त्रस जीव एवं असंख्यात जलकायिक जीव हैं, जो कबूतर के बराबर होकर उड़ें तो पूरा जम्बूद्वीप भर जाएगा |
4. वैज्ञानिक कैप्टन स्ववोर्सवी के अनुसार एक बूंद जल में कितने जीव हैं ?
वैज्ञानिक कैप्टन स्ववोर्सवी के अनुसार 36,450 त्रस जीव हैं।
5. जल छानने की विधि क्या है ?
कुएँ में बालटी या कोई भी बरतन जोर से नहीं पटकते हुए पानी खीचें। वह बालटी फूटी भी न हो, और पानी गिरे भी नहीं। बालटी ऊपर लाने के बाद एक सूती छन्ने से छानना, वह छन्ना इतना मोटा हो कि उसमें से सूर्य की किरणें आर-पार न हो सकें। छन्ना इतना बड़ा हो कि जिस बरतन में पानी छाना जा रहा है,उसके मुख से बड़ा हो। इतनी सावधानी अवश्य रहे कि अनछना एक भी बूंद जल जमीन पर न गिरे। पानी छानने के बाद जिवानी को छने जल से धोकर ही, जहाँ की जिवानी हो उसी जगह डालना चाहिए। जिवानी ऊपर से नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि बालटी में नीचे कड़ा होना चाहिए। जिससे जल की सतह पर जाकर जिवानी पहुँचे। अत: कड़े वाली बालटी का प्रयोग करना चाहिए।
6. जेट, हैंडपप आदि से पानी आने में घर्षण से जीव मर जाते हैं। फिर पानी छानने से क्या लाभ है ?
जेट, हैंडपंप से पानी आता है तो घर्षण से जीव मर तो जाते हैं किन्तु बिना छने जल में प्रतिसमय जीव उत्पन्न होते रहते हैं। अत: पानी छानना चाहिए।
7. हैंडपंप की जिवानी कहाँ डालना चाहिए ?
हैंडपंप में जिवानी तो जा नहीं सकती। घर में टंकी, हौज आदि में जल हो तो उसमें डाल सकते हैं। जब तक उसमें जल रहेगा, तब तक जीव सुरक्षित रहेंगे। यह विधि ठीक नहीं है फिर भी जितनी रक्षा हो सके उतनी करें, जिससे पानी छानने के संस्कार बने रहेंगे।
8. छने जल की मर्यादा कितनी है ?
एक मुहूर्त अर्थात् 48 मिनट। इसके बाद उसमें पुनः त्रस जीवों की उत्पत्ति होने लगती है। अत: पुनः छानना चाहिए।
9. छने जल को लौंग, सौंफ आदि से प्रासुक किया जाता है तो उसकी मर्यादा कितनी है ?
छने जल को लौंग, सौंफ आदि से प्रासुक किया जाता है तो उसकी मर्यादा छः घंटे हो जाती है, किन्तु छ: घंटे के बाद वह अमर्यादित हो जाता है। अर्थात् उसमें त्रस जीवों की उत्पत्ति प्रारम्भ हो जाती है।
10. उबले (Boiled) जल की मर्यादा कितनी है ?
24 घंटे। इसके बाद वह अमर्यादित हो जाता है। इसे दुबारा गर्म भी नहीं करना चाहिए।
11. नल में कपड़े की थैली दिन भर लगी रहती है, क्या यह उचित है ?
नहीं। थैली नल में लगी-लगी ही सूख जाती है तो उसमें रहने वाले जीव मर जाते हैं।
12. वर्षा का जल क्या शुद्ध है ?
वर्षा का जल अन्तर्मुहूर्त तक तो शुद्ध है, उसमें जीव नहीं रहते हैं। अन्तर्मुहूर्त के बाद उसमें जीव उत्पन्न हो जाते हैं।
13. जैनधर्म के अलावा और कहीं भी पानी छानने के बारे में कहा है ?
हाँ। मनुस्मृति में लिखा है - अपनी दृष्टि से धरती को अच्छी तरह देखकर पैर रखे तथा जल को वस्त्र से छानकर पीना चाहिए। यथा-
दृष्टि पूतं न्यसेत् पादं,
वस्त्र पूर्त जलम् पिबेत्।
14. पानी छानने के बारे में आज विज्ञान क्या कहता है ?
पानी को छानकर फिर उबालकर (Boiled)ही पीना चाहिए।
15. छना पानी पीने से क्या लाभ हैं ?
छना पानी पीने से मुख्य लाभ हैं -
- अहिंसा धर्म का पालन होता है।
- अनेक प्रकार की बीमारियों से स्वत: बच जाते हैं।
16. गुरुवर आचार्य विद्यासागर जी महाराज के शब्दों में अनछना जल पीने से क्या होता है ?
जिस प्रकार स्टोव में बिना छना तेल डालते हैं तो वह भभकता है, जिससे उसमें पिन करना पड़ती है। उसी प्रकार पेट में बिना छना जल डालते हैं तो उसमें पिन करना पड़ती है अर्थात् इंजेक्शन लगवाना पड़ता है, क्योंकि बीमार पड़ जाते हैं।
17. भगवान् महावीर जैनी किसे कह गए ?
महावीर कह गए सभी से जैनी वह कहलाएगा। दिन में भोजन, छान के पानी, नित्य जिनालय जाएगा।
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